स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बच्चों को मिलेगा 4000 रुपये प्रतिमाह, कौन होगा पात्र देखें पूरी खबर
ब्यूरो रिपोर्ट
चंदौली प्राइम समाचार टुडे वैश्विक त्रासदी कोरोना सीताराम बहुत से परिवार तो बच्चों के सर से असमय माता-पिता का साया उठ गया ऐसे में उनका सहारा बनने को लेकर स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बच्चों को यूपी सरकार की आर्थिक मदद कर रही है इस योजना के तहत 18 साल तक के बच्चों को हर महीने 4 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना हैसाथ ही अनाथ, परित्यक्त और बाल भिक्षुओं (ओएएस) को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार स्पांसरशिप योजना चला रही है। केंद्र सरकार के मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 11860 बच्चों को 14.23 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जा चुकी है।उत्तर-प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 हजार बच्चों को योजना से लाभांवित करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना में 18 साल तक उम्र के ओएएस बच्चों को प्रतिमाह चार हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है।
स्पांसरशिप योजना का कौन उठाता है खर्च?
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से ओएएस बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना काल त्रासदी के बाद 17 जुलाई 2022 को स्पांसरशिप योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना में केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत खर्च पोषित करती है।
इस योजना से कौन होगा लाभान्वित
योजना का मुख्य उद्देश्य ओएएस बच्चे के भविष्य को सुनहरा बनाने के साथ उनके स्कूली जीवन एवं सामाजिक स्तर सुधारना एवं सुनिश्चित करना है। इस योजना का लाभ ऐसे अभिभावकों को दिया जा रहा है, जिनकी आय ग्रामीण क्षेत्रों में 72 हजार रुपये और शहरी क्षेत्रों में 96 हजार रुपये वार्षिक है। वहीं, जिनके माता-पिता या कानूनी अभिभावक दोनों की मृत्यु हो गई है, उन्हें आय सीमा में छूट दी गई है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि बाल तस्करी, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से बचाए गए, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित या दिव्यांग बच्चों को इस योजना में सहायता प्रदान की जाती है।
किसको मिलेगा इस योजना का लाभ
इसके अलावा जेल में बंद माता-पिता वाले बच्चों, एचआइवी/एड्स से प्रभावित लोगों और जिनके अभिभावक आर्थिक, शारीरिक या मानसिक रूप से उनकी देखभाल करने में असमर्थ हैं, उन्हें भी सहायता प्रदान की जा रही है। इतना ही नहीं फुटपाथ पर जीवनयापन करने वाले, उत्पीड़न या शोषण के शिकार बच्चों को सहायता देने के साथ पुनर्वास की भी सुविधा प्रदान की जा रही है।