रिपोर्टिंग बाई – आशीष त्रिपाठी
गोंडा प्राइम समाचार टुडे निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले मदरसों पर शासन की निगाहें टेढ़ी हुई हैं।मानकों पर खरा नहीं उतर पाने के चलते इसी महीने जिले के 54 मदरसों पर ताला लगना तय है।शासन की तनी हुई भ्रकुटी का रूख समझकर जिले के 22 मदरसों के प्रबंधकों ने तो खुद ही मदरसा बंद करने का प्रार्थनापत्र दिया है। ऐसे में इन मदरसों की मान्यता मदरसा शिक्षा परिषद वापस ले लेगा। इसके अलावा शासन की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाले 32 मदरसों की मान्यता वापस लेने का प्रस्ताव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भेज चुका है। बीते मंगलवार को मदरसा शिक्षा
परिषद की बैठक में इन मदरसों की मान्यता वापस किए जाने का फैसला हो चुका है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को आदेश मिलने का इंतजार है। जिससे मदरसा प्रबंधकों को इसकी जानकारी दी जा सके। विभागीय अधिकारियों की मानें तो आदेश मिलने पर ऐसे मदरसों की मान्यता खत्म कर यू डायस से हटाने की कार्रवाई की जाएगी।मदरसों की मान्यता निरस्त होने के बाद इनके छात्रों को परिषदीय स्कूलों में नामांकित किया जाएगा। 30 सितंबर तक परिषदीय स्कूलों में नामांकन कराया जा सकता है। वैसे भी जिले के 537 मान्यता प्राप्त मदरसाें में पढ़ रहे गैर मुस्लिम छात्रों का नामांकन परिषदीय स्कूलों में कराने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। इससे मदरसों में छात्रों की संख्या कम हो रही थी। अब बंद होने वाले मदरसों के छात्रों को भी परिषदीय स्कूलों में प्रवेश मिलेगा।
मदरसा शिक्षा को आधुनिक करने के लिए चल रही आधुनिकीकरण योजना शासन ने स्थगित कर दी थी। जिले के 286 मदरसों को आधुनिकीकरण योजना में शामिल किया गया था। प्रत्येक मदरसे के तीन शिक्षकों को शासन से मानदेय दिया जाता था। जनवरी से ही मानदेय देने की योजना शासन से स्थगित हो गई थी। इससे भी मदरसों को झटका लगा है।जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रमेश चंद्र ने बताया कि मदरसों की मान्यता वापस लिए जाने की सूचना मिली है। आदेश मिलने पर उन्हें बंद कराया जाएगा। आधुनिकीकरण योजना तो जनवरी माह से ही स्थगित है।