सकलडीहा (प्राइम समाचार टुडे) लगातार दैनिक तापमान लगातार बढ़ रहा है वही हीट -वेव (लू प्रकोप) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की है ऐसे में बच्चों के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है ऐसे में अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर माता-पिता चिंतित हो जाते हैं आइये हम जानते हैं कि ऐसी स्थिति में अपने बच्चों की सही देखभाल कैसे करें सकलडीहा कस्बा स्थित नमन चाइल्ड केयर सेंटर के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पीएन दुबे ने प्राइम समाचार टुडे से अपने खास बातचीत में इस समस्या पर अपनी राय दी है डॉ पी एन दुबे कहा है कि बढ़ता तापमान अपने साथ कई परेशानियां लेकर आता है। चिलचिलाती धूप और गर्मी में हवाएं भी काफी गर्म हो जाती हैं, जिसे हम आम भाषा में हीटवेव कहते हैं। हीटवेव (heat wave) खासकर बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। बड़े सावधानी बरत लेते हैं, परंतु छोटे बच्चों के लिए खुद का ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्कूल, कोचिंग और खेल कूद करते वक्त हीटवेव (heat wave) से प्रभावित होने का खतरा बना रहता है। हीटवेव के कारण छोटे बच्चों में हीट स्ट्रोक, हीट स्ट्रेस, एलर्जी, रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम, मच्छरों से होने वाली बीमारी, कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं तथा डायरिया होने का खतरा बना रहता है।
बड़े उम्र के लोग प्यास लगने पर पानी पीकर खुद को संतुष्ट कर लेते हैं, परंतु छोटे बच्चे ऐसा नहीं कर पाते। उन्हें प्यास तो महसूस होती है, परंतु वे खुद से पानी नहीं पी सकते। जब तक कि बच्चा 2 साल से अधिक का न हो जाए वह खुद से पानी नहीं पीता। इस स्थिति में यह जिम्मेदारी आपकी है कि आप अपने बच्चे को एक उचित समय के बाद पानी जरूर पिलाएं। इसके अलावा कुछ अन्य हाइड्रेटिंग ड्रिंक्स भी दे सकती हैं। जिससे कि उनका शरीर पूरी तरह से हाइड्रेटेड रहे और उन्हें हीटवेव से लड़ने में आसानी हो।
बच्चों के रखरखाव को लेकर श्री दुबे ने कहा कि आप बच्चे को ढीले कपड़े पहनाए जाएं – इससे घमौरियों और अत्यधिक गर्मी से बचने में मदद मिल सकती है। जांचें कि आपका बच्चा अच्छी तरह से हाइड्रेटेड है। वे नहीं जानते होंगे कि निर्जलीकरण और गर्मी का तनाव कैसा महसूस होता है। 6 माह से कम उम्र के शिशुओं को विशेष रूप से माँ स्तनपान कराएं। इन सावधानियां के बावजूद भी अगर आपका बच्चा सामान्य स्वभाव से अलग महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले