ब्यूरो चीफ आशीष त्रिपाठी
नवाबगंज (गोंडा) प्राइम समाचार टुडे
क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पिछले एक हफ्ते में 14 सागौन के हरे पेड़ वन माफियाओं ने काट कर धराशायी कर दिये लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को कानों-कान खबर नहीं लगी वहीं दूसरी ओर आम के दो हरे पेड़ों की कटान परमिट के बाद की गई है।बीते एक माह में सैकड़ों हरे, प्रतिबंधित और बेशकीमती पेड़ों की अवैध कटान कर वन माफिया मालामाल हो रहे हैं।
वन क्षेत्राधिकारी विनोद कुमार नायक के निलंबन के बाद वन विभाग क्षेत्र में अवैध कटान को रोकने के लिए संजीदा हुआ था। उस समय नवागत वन क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह ने अवैध रूप से पेड़ों की कटान करने वाले वन माफियाओं और लकटडकट्टों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए क्षेत्र में अवैध कटान लगभग बंद ही करा दी थी। वन विभाग के अन्य जिम्मेदार भी वन क्षेत्राधिकारी का रवैया देखकर अवैध कटान के विरूद्ध ताबड़तोड़ कारवाई कर रहे थे।
लेकिन बीते एक माह से वन विभाग की ढिलाई के कारण वन माफियाओं ने क्षेत्र में अवैध कटान की दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया है। इन सभी मामलों में
कार्रवाई के नाम पर वन विभाग कछुए की चाल चल रहा है और वन माफिया एक के बाद एक बड़े पैमाने पर हरे और प्रतिबंधित बेशकीमती पेड़ों को काट कर बेच रहे हैं।
बीत एक हफ्ते में गढी गांव में सुभाष पुत्र राम फेर के खेत के बगल लगे 08 सागौन के पेड़ वन माफिया काटकर उठा ले गये। करीब 05 दिन पूर्व क्षेत्र के बैजलपुर गांव के दर्शन पुरवा में शिक्षक शिवशंकर के घर के सामने वन माफियाओं ने 05 हरे सागौन के पेड़ों की कटान की है। वहीं पूरे महीने में सूत्रों के अनुसार इन अवैध कटानो के अतिरिक्त क्षेत्र के बहादुरा गांव में करीब 15 दिन पहले वन माफियाओं ने सागौन के 20 पेड़ों की अवैध कटान की थी। 15 दिन
पहले टिकरी खास में सागौन के 15 पेड़ों को वन माफियाओं ने धराशायी कर दिया था। इसी दौरान रामपुर खास गांव में अनंत राम दूबे के 05 सागौन के हरे पेड़ों को भी अवैध रूप से काटा गया था।
इन मामलों के अतिरिक्त क्षेत्र के विभिन्न गांवों में सक्रिय लकटडकट्ट भी अपनी क्षमता के अनुसार आम, इमली, गूलर, जामुन, शीशम, सागौन, जैसे प्रतिबंधित और बेशकीमती पेड़ों को अपना निशाना बना रहे हैं।
शनिवार को लिदेहना गांव में आम के 02 विशालकाय हरे पेड़ काटे गए जिसके बारे में वन क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि दोनों पेड़ों की परमिट बनी है। फिलहाल इतनी बड़ी मात्रा में अवैध कटान के बाद दो पेड़ों की परमिट के बाद कटान वन विभाग के लिए राहत की खबर हो सकती है लेकिन अधिकतर मामलों वन विभाग के जिम्मेदार जानकारी ना होने की बात कहते हैं। यदि मौके पर कोई वन दरोगा, रक्षक या अन्य जिम्मेदार पंहुचता भी है तो लकड़ी की माप-साध और फोटो एक हफ्ते तक मोबाइल में ही रखे रहता है। वैसे तो इन सभी मामलों के संबंध में वन क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा है कि सभी मामलों में जांच कर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
अब सवाल ये है कि यदि वन विभाग के जिम्मेदारों ने अवैध कटानों की ओर अपने आंख-कान बंद कर रखे हैं तो इन बेशकीमती हरे पेड़ों की हिफाजत कौन करेगा।