डीएम साहब हम लोगों को भी घूस के पैसे में बढ़ोत्तरी कराने में मदद करें
ब्यूरो रिपोर्ट
चंदौली प्राइम समाचार टूडे: जनपद जौनपुर से एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है तहसील में एक प्राइवेट व्यक्ति द्वारा जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से घूस के लिए हुए पैसे में बढ़ोतरी करने को लेकर अनुरोध किया गया है पूरा मामला जनपद जौनपुर के तहसील शाहगंज का है जहां सोशल मीडिया पर वायरल पत्र के माध्यम से आवेदनकर्ता राजाराम यादवत हसील में तैनाव नायब तहसीलदार शैलेंद्र कुमार सरोज का प्राइवेट चपरासी अपने आप को बता रहा है उसने कहा कि हम तीन लोग अविनाश यादव व अजीत यादव अधिवक्ताओं व जनता से झगड़ा कर मारपीट कर पैसा वसूलते हैं उसने अपने पत्र में जिलाधिकारी से मांग करते हुए बताया है की तहसील में सभी प्राइवेट चपरासी को 1000 प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है
जबकि नायब तहसीलदार मुझे ₹500 देते हैं मुझे भी अन्य प्राइवेट चपरासियों की तरह ₹1000 दिया जाए जैसे ही यह मामला डीएम जौनपुर के संज्ञान में आया तत्काल मामले की जांच को लेकर एसडीएम शाहगंज को निर्देशित किया गया
सवाल यह है कि यह एक तहसील का मामला है इतने बड़े पैमाने पर प्राइवेट व्यक्तियों द्वारा खुले तौर पर जनता और अधिवक्ताओं से घूस लेने और पारिश्रमिक देने की मांग की जा रही है यह पत्र पूरे सरकारी महकमे पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता नजर आ रहा है एक तरफ जहां योगी सरकार आम जनमानस को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सुविधा उपलब्ध कराने में लगी हुई है वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर जनपद के आला कमान अधिकारी प्राइवेट व्यक्तियों के सहारे जनता को लूटने एवं भ्रष्टाचार बढ़ाने में सम्मिलित दिखाई दे रहे हैं
प्राइवेट कर्मचारी के पत्र में खोली पूरी पोल
दिलचस्प पहलू यह है कि एकप्राइवेट व्यक्ति ने भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर आम जनमानस को लूटता है और लूटने के पैसे में अपने हिस्सेदारी को बढ़ाने की बात जनपद के आला कमान अधिकारी से पत्र के माध्यम से गुहार लगाता है शायद उसको यह पता नहीं है कि घूस लेना अपराध है और प्राइवेट व्यक्ति को सरकारी महकमे में कोई भी पारिश्रमिक मिलने का प्रावधान शासन स्तर पर नहीं किया गया है इसके बावजूद भी उसका यह पत्र कई सारे भ्रष्टाचार से पर्दा उठाने का कार्य कर रहा है
दबेगा मामला या होगी कार्रवाई
जैसे ही यह पत्र जिलाधिकारी जौनपुर को संज्ञान में आया वैसे ही तहसील शाहगंज के अधिकारियों के होश उड़ गए तत्काल जांच को लेकर एसडीएम को मामले की जांच करने को लेकर नामित करते हुए निर्देशित किया गया अब देखना यह है कि तहसील के इस कारनामें को अधिकारियों द्वारा कितनी गंभीरता से लिया जाता है या आदि अनादि काल से चलती आ रही परंपरा पर कायम रहते हुए मामले की लीपापोती की भेंट चढ़ाते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है