अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 इस विधेयक के साथ कौन सी होगी कार्रवाई क्या है सजा का प्रावधान

चंदौली ( प्राइम समाचार टुडे ) हाल ही में लोक परीक्षा (कदाचार रोकथाम) विधेयक-2024 को लोकसभा में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य लोक परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता लाने के लिये “अनुचित साधनों” को रोकना है।एक बार कानून बन जाने के बाद यह विधेयक “राज्यों के लिये अपने विवेक पर इसे अपनाने के क्रम में एक मॉडल मसौदा” के रूप में कार्य करेगा।
इस प्रकार के विधेयक की आवश्यकता:
प्रश्न पत्र लीक के मामले:
हाल के वर्षों में देशभर की भर्ती परीक्षाओं में प्रश्न-पत्र लीक होने के मामले बहुत बड़ी संख्या में सामने आए हैं। पिछले पाँच वर्षों में 16 राज्यों में पेपर लीक की कम-से-कम 48 घटनाएँ हुईं हैं, जिससे सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई है। इससे लगभग 1.2 लाख पदों के लिये होने वाली भर्ती से कम-से-कम 1.51 करोड़ आवेदकों का जीवन प्रभावित हुआ है।
कदाचार के कारण परीक्षाओं में देरी होना:
सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के कारण देरी होती है और परीक्षाएँ रद्द हो जाती हैं, जिससे लाखों युवाओं की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में अपनाए गए अनुचित तरीकों अथवा किये गए अपराधों से निपटने के लिये कोई विशिष्ट ठोस कानून नहीं है।
व्यापक केंद्रीय कानून के माध्यम से परीक्षा प्रणाली के भीतर कमज़ोरियों का लाभ उठाने वाले तत्त्वों की पहचान करना और प्रभावी ढंग से उनका समाधान करना भी महत्त्वपूर्ण है।
अधिक पारदर्शिता लाने के लिये:
विधेयक का उद्देश्य लोक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है साथ ही युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदारीपूर्ण तथा वास्तविक प्रयासों को उचित पुरस्कार के साथ उनका भविष्य सुरक्षित होगा।
विधेयक का उद्देश्य उन व्यक्तियों, संगठित समूहों अथवा संस्थानों को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से रोकना है जो विभिन्न अनुचित तरीकों में लिप्त हैं साथ ही मौद्रिक या अनुचित लाभ के लिये लोक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
धारा 2(k) के तहत, लोक परीक्षा को विधेयक की अनुसूची में सूचीबद्ध “लोक परीक्षा प्राधिकरण” या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा के रूप में परिभाषित किया गया है। अनुसूची में पाँच लोक परीक्षा प्राधिकरणों, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS), राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की सूची है।
NTA JEE (मेन), NEET-UG, UGC-NET, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) जैसी परीक्षा आयोजित करता है।
इन नामित सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों के अलावा “केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग और कर्मचारियों की भर्ती के लिये उनसे जुड़े तथा अधीनस्थ कार्यालय” भी नए कानून के दायरे में आएँगे।
केंद्र सरकार आवश्यकता पड़ने पर एक अधिसूचना के माध्यम से अनुसूची में नए
प्राधिकरण जोड़ सकती है।
सज़ा का प्राविधान ::
विधेयक की धारा 9 में कहा गया है कि सभी अपराध संज्ञेय, गैर-ज़मानती और गैर-शमनयोग्य होंगे।
संज्ञेय अपराधों में मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना मामले की जाँच करना पुलिस का कर्त्तव्य है। एक गैर-शमनयोग्य अपराध वह है जिसमें शिकायतकर्त्ता द्वारा मामला वापस नहीं लिया जा सकता है, भले ही शिकायतकर्त्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया हो तथा मुकदमा आवश्यक रूप से चलना चाहिये।
इसका तात्पर्य यह है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है और ज़मानत अधिकार का मामला नहीं होगा, बल्कि एक मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करेगा कि अभियुक्त को ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है या नहीं। “अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने वाले किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों” के लिये सज़ा तीन से पाँच वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
यदि दोषी ज़ुर्माना देने में विफल रहता है, तो भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सज़ा दी जाएगी।
सेवा प्रदाताओं के लिये सज़ा:
परीक्षाओं के संचालन के लिये सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा नियुक्त सेवा प्रदाता भी 1 करोड़ रुपए तक के ज़ुर्माने के साथ दंडित किया जा सकता है और यदि सेवा प्रदाता अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूल की जाएगी।
प्राइम समाचार न्यूज़ पोर्टल द्वारा विभिन्न समाचार संकलनों के माध्यम से आपको जागरूक करने को लेकर इस लेख के माध्यम से आपको इस विधेयक के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने की मंशा रखता है